Kerala: मलयालम शब्द ‘ओमल्लूर वयल वाणीभम’ का मतलब है ओमल्लूर कृषि मेला। केरल के पतनमतिट्टा जिले में होने वाला सालाना मेला कृषि उत्पादों के बाजार से कहीं बढ़कर है। पहले ये मेला जानवरों का हुआ करता था। धीरे-धीरे ये मेले के रूप में गुलजार होता गया। अब यहां खेती के उपकरण, हस्तशिल्प और स्थानीय पकवान भी मिलते हैं।
माना जाता है कि सदियों से आयोजित होने वाला मेला यहां की समृद्ध कृषि परंपराओं का त्योहार है। ओमल्लूर मेला कृषि वाणिज्य का पर्याय है। साथ ही ये परंपरा और संस्कृति की गहराईयों को भी सामने लाता है।
हालांकि किसान और व्यापारी कहते हैं कि अब मेले में पुरानी बात नहीं रही। वे इसकी वजह जंगली जानवरों से होने वाला नुकसान बताते हैं। जंगली जानवरों से राज्य के पूर्वी पहाड़ी इलाकों में खेती को काफी नुकसान होता है। नतीजा ये, कि किसान परेशान रहते हैं, पैदावार कम होती है और मेला फीका पड़ जाता है।
मेले की रौनक तेज शहरीकरण से भी कम हो रही है। लोग खेती और उससे जुड़े कारोबार की ओर से उदासीन हो रहे हैं। फिर भी, मेला बदस्तूर जारी है। परंपराएं मेले को सलामत रखे हुए हैं।