Rajasthan: बाड़मेर में बढ़ती गर्मी, दिहाड़ी मजदूरों के काम के घंटे बदले

Rajasthan: मुख्यमंत्री शहरी रोजगार योजना के तहत काम करने वाली ये महिलाएं राजस्थान के बाड़मेर में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करती हैं। इन जैसे पुरुष और महिलाएं मुख्य रूप से राजस्थान के कस्बों और शहरों में शहरी व्यवस्था बनाए रखने में लगे हुए हैं। लेकिन बढ़ती गर्मी ने अधिकारियों को उनके काम के समय और ड्यूटी में बदलाव करने के लिए मजबूर कर दिया है। महिलाएं इन बदलावों का तहे दिल से स्वागत करती हैं, लेकिन उनकी एक और मांग है कि उन्हें घर के पास ही काम दिया जाए।

उनका कहना है कि इससे उनका समय बचेगा, जो उन्हें लंबी यात्राओं में खर्च करना पड़ता है। ये बदलाव तब तक लागू रहेंगे जब तक मौसम थोड़ा ठंडा नहीं हो जाता। मौसम विभाग के मुताबिक, ऐसा जल्द होने की संभावना फिलहाल न के बराबर है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने की आशंका जताते हुए रेड अलर्ट जारी कर दिया है।

जूनियर तकनीकी सहायक गणपत पटेल ने कहा, “इनके जो काम रहते हैं जैसे फुटपाथ पर रोडों के आसपास डिवाइडर वगैरह मेंटेनेंस का वर्क रहता है उसको हाल फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया है क्योंकि गर्मी को देखते हुए ज्यादा काम नहीं दिए जा रहे हैं। उनको वही काम दिए जा रहे हैं जो ये गर्मी में कर सकें। जैसे पार्कों का मेंटेंनेस, जैसे पौधों का रखरखाव, पानी पिलाना वगैरह। वहीं चीजें होती है। बाकि ऐसी लोकेशन को डिसाइड करके लगाया जाता जहां उनके छाया पानी की व्यवस्था उपलब्ध हो सके।”

सहायक अभियंता हिमांशु गुप्ता ने कहा, “सबसे पहले तो इनका रोज का काम का समय होता है उसमें बदलाव किए गए। ये समय आठ से दो बजे कर दिए गए ये पहले 10 से चार होता था। इसमें इनको दो घंटे का रिलेक्सशेन दे दिया गया है सुबह को भी शाम को भी। गर्मी ज्यादा है तो उस समय को और कम कर दिया जाता है मान लो कि एक 12 बजे भी उस टाइम को कर सकते हैं आठ से 12 बाकि इनके लिए छाया की व्यवस्था की गई है। पानी सभा भवन है उसमें छाया की व्यवस्था कर दी है। मेड है जो इनके पानी की व्यवस्था करती है बच्चों की देखरेख करती है।”

कर्मचारियों ने कहा, “सुविधा ज्यादा भी है अच्छी भी है झाड़ कही है नही तो छांव देख कर वहीं चले जाते हैं। जहां पर भी पेड़ पौधे हो वहीं पर हमको काम लगाए। अभी तक को बहुत है। आगे जैसा काम होगा तो वैसा बता देंगे। दूर ज्यादा है तो जाना भी पड़ता है क्या करें। उनको बोलो कि नजदीक भी पार्क हो तो जैसे कोई स्कूल हो वहां पर हमको लगा दे। टाइम भी चेंज किया गया है पहले तो जल्दी बुलाते थे अब आते हैं ऐसे दो बजे से छुट्टी कर देंते हैं। ऐसा नहीं बोलते हैं कि घर जाओ। ठंडे पानी की व्यवस्था है। ऐसा नहीं करते हैं कि काम करो जितना है उतना ही करो। मिला है नरेगा का काम तो फिर आना तो पड़ेगा ही।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *