Rajasthan: आसमान में ऊपर उठती ये सफ़ेद गुंबद वाली बनावट मंदिरों से भरी इस जमीन पर किसी मंदिर की तरह दिखती है। हालांकि जैसे-जैसे आप करीब पहुंचते हैं तो दिखाई देता है कि श्रद्धालु मंदिर में जाने के लिए कतारों में खड़े हैं। जब आप मंदिर के नाम पढ़ते हैं तो उसके साथ एक छोटा सा साइनबोर्ड दिखाई देता है। तब आपको एहसास होता है कि ये कोई साधारण मंदिर नहीं है।
ये प्रसिद्ध करणी माता मंदिर है, जो बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण में देशनोक शहर में है। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात है यहां चारों तरफ घूमने वाले चूहे, जिन्हें यहां के लोग ‘काबे’ के नाम से पुकारते हैं। जिस तरह से मंदिर में माता करणी का महत्व है, ठीक वैसे ही यहां बेफिक्र घूमने वाले हज़ारों चूहों का भी है। मंदिर में इधर-उधर घूमने वाले चूहों के बारे में कई किंवदंतियां मशहूर हैं, जिनमें से एक ये है कि यहां मंदिर में रहने वाले चूहे दिव्य हैं या किसी दूसरी दुनिया से हैं। यही कारण है कि मंदिर आने वाले श्रद्धालु इन चूहों को भी बहुत सम्मान देते हैं।
मां दुर्गा की अवतार मानी जाने वाली माता करणी को समर्पित इस ‘चूहों के मंदिर’ में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। साल में दो बार नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भीड़ विशेषतौर पर बढ़ जाती है। मंदिर आने वाले श्रद्धालु उस प्रसाद को बेहद पवित्र मानते हैं, जिसे चूहों ने छू दिया हो। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मां की भक्ति तो है ही लेकिन उसके साथ प्रसाद की थालियों को कुतरते हुए, मंदिर परिसर में इधर-उधर भागते चूहों को देखना भी उनके लिए उतना ही आकर्षक होता है।
मंदिर में पूजा-पाठ के अलावा होने वाली दूसरी गतिविधियां भी असामान्य नहीं हैं। आरती के समय मंदिर में घंटियां बजती हैं, ढोल बजते हैं और श्रद्धालु मां करणी की आराधना करते हुए उसमें हिस्सा लेते हैं। लेकिन इन सब के बीच सबसे शुभ माना जाता है एक सफ़ेद चूहे को देखना। 14वीं सदी में बना ये मंदिर हर साल हज़ारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। चूहों के प्रति उनकी श्रद्धा निश्चित रूप से इसकी लोकप्रियता का मुख्य वजह है, लेकिन साथ ही मंदिर की बनावट, उसके दरवाजे और मेहराब भी बहुत सुंदर हैं।