Rajasthan: भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास साइक्लोन-III का तीसरा एडिशन राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा है। 10 फरवरी को शुरू हुई 14 दिनों की सैन्य ड्रिल में संयुक्त परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने के मकसद से कठोर युद्ध हालात और सामरिक प्रशिक्षण शामिल है। यह उच्च-तीव्रता वाला अभ्यास भारत और मिस्र के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है, जो सैन्य सहयोग को मजबूत करता है और दोनों देशों की विशिष्ट बलों के बीच पारस्परिक कार्यकुशलता को बढ़ाता है।
‘कंटिजेंट्स ट्रेन हार्ड’ पर केंद्रित अभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं कठिन युद्ध प्रशिक्षण और सामरिक अभ्यास कर रही हैं, जिसका उद्देश्य जॉइंट ऑपरेशन क्षमताओं को मजबूत करना है। इस अभ्यास का प्रमुख लक्ष्य पारस्परिक कार्यकुशलता को बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान- प्रदान करना और स्पेशल फोर्सेज के अभियानों में युद्धकला, तकनीकों और प्रक्रियाओं (TTPs) की आपसी समझ को बढ़ाना है। इस अभ्यास में क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) ड्रिल, सर्वाइवल तकनीक, डिमोलिशन ट्रेनिंग और कॉम्बैट मेडिकल स्किल्स पर संयुक्त प्रशिक्षण शामिल है। ये अभ्यास भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है क्योंकि मिस्र की टुकड़ी भारत की अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी और हथियार प्रणालियों से सीधे परिचित होती है।
क्लोज़ क्वार्टर बैटल (CQB) प्रशिक्षण महत्वपूर्ण यह है कि यह सैनिकों की क्षमता को बढ़ाता है। ताकि वे सीमित और शहरी वातावरण में कम रिएक्शन समय में दुश्मनों से निपट सकें। सर्वाइवल प्रशिक्षण मॉड्यूल कठोर परिस्थितियों में ऑपरेशन जारी रखने और शत्रुतापूर्ण वातावरण में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक कौशल है। युद्धक्षेत्र में आकस्मिक दुर्घटना प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कॉम्बैट मेडिकल कौशल प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है, जबकि डेमोलिशन प्रशिक्षण सैनिकों को दुश्मन की किलेबंदी को तोड़ने और निष्क्रिय करने के लिए तैयार करता है।
भारतीय और मिस्र की स्पेशल फोर्सेज का कठिन प्रशिक्षण असाधारण अनुशासन, टीमवर्क और अनुकूलन क्षमता का प्रदर्शन हैं। उनका ऑपरेशन में उत्कृष्टता के प्रति अडिग समर्पण यह दर्शाता है कि वे चुनौतीपूर्ण वातावरण में जॉइंट ऑपरेशन्स के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जैसे-जैसे यह अभ्यास समाप्ति की ओर बढ़ेगा, CYCLONE-III के दौरान सीखी गई सीख और बनाए गए रिश्ते भविष्य के जॉइंट ऑपरेशन्स के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम आएंगें, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा प्रयासों में अधिक तालमेल सुनिश्चित करेंगे।