Kargil Diwas: राजस्थान के अलवर में पूर्व सैन्य अधिकारी का स्टार्टअप, सैनिक उपकरण करते हैं तैयार

Kargil Diwas: कारगिल युद्ध के सम्मानित जवान और पूर्व विशेष बल अधिकारी मेजर अनिल कुमार मलिक ने 2017 में सैनिकों, सुरक्षाकर्मियों और साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वालों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैनिक उपकरण बनाने का स्टार्टअप शुरू किया।

उनकी कंपनी ‘स्पेक ऑप्स’ राजस्थान के भिवाड़ी में है। वे रिटायरमेंट के बाद भी कंपनी के जरिये सशस्त्र बलों से जुड़े हैं, मेजर मलिक के पास युद्ध और शांति के दौरान सालों तक सेना में काम करने का अनुभव है। वे कहते हैं कि अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों की जरूरतों को पहचाना।

‘स्पेक ऑप्स’ में 70 कुशल कर्मचारी काम करते हैं। वे सशस्त्र बलों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी टिकाऊ और असरदार उपकरण तैयार करते हैं। मेजर मलिक के लिए ‘स्पेक ऑप्स’ सिर्फ व्यापार ही नहीं, भारतीय सेना के लिए सेवा जारी रखने का तरीका भी है। वे बताते हैं कि कंपनी ने उन्हें काफी कुछ दिया है, उनका मकसद वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय सामरिक उपकरण तैयार करना है।

स्पेक ऑप्स मेजर (रिटायर्ड) अनिल कुमार मलिक ने बताया कि “इस फैक्ट्री में हम प्रोडक्ट्स बनाते हैं, एस्पेशियली आर्मी के लिए, जोकि ऑपरेटिव्स में इस्तेमाल होते हैं, उनके लिए। हम कपड़े बनाते हैं, गार्मेंट्स बनाते हैं। जैसे टैक्टिकल कार्गो पैंट्स हो गईं, शर्ट्स हो गए। प्रोटेक्टिव गियर बनाते हैं। जैसे नी पैड, एल्बो पैड्स हो गए। इसके अलावा हम बैक पैक्स और हथ्यार-असला कैरी करने के लिए बैग्स, उस तरह के सामान बनाते हैं।”

“96 में मैं स्पेशल फोर्सेज यूनिट में आर्मी की, स्पेशल फोर्सेज ग्रेड में कमीशन हुआ। विशेष दस्ता जिसे कहते हैं। हम काफी ऑपरेशंस में इन्वॉल्व थे, जम्मू और कश्मीर में, जो रक्षक के नाम से ऑपरेशंस जो चलते थे। मैं उसमें इन्वॉल्व्ड था। उस समय पे जो हम इस्तेमाल करते थे, तो मुझे लगा कि हम इससे बेहतर बना सकते हैं, जिससे कि काम करने में भी आसानी होगी और सामान भी आसानी से हम ऑपरेशंस में कैरी कर सकते हैं, थकावट कम हो सकती है सोल्जर की।”

कर्मचारी आनंद पाल ने कहा कि “सबसे पहले हम प्रिंट आउट निकालते हैं। उसके बाद फैब्रिक आगे का कटिंग में जाता है। उसके बाद कारीगरों के पास आता है। फिर उसकी स्टिचिंग होती है। स्टिचिंग होने के बाद फिनिशिंग में जाता है। उसके बाद पैकिंग का काम होता है।

 

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