Bikaner: राजस्थान में बीकानेर के वैष्णोधाम मंदिर में सावन के पवित्र महीने में नेपाल से मंगवाए गए एक लाख पच्चीस हजार रुद्राक्ष की मालाओं से 18 फीट ऊंचा शिवलिंग बनाया गया है, मिट्टी के इस शिवलिंग को गुजरात के कारीगरों ने तैयार किया है। खास बात य है कि गुजरात के यह कारीगर पूरे भारत में इस तरह के शिवलिंग पहले भी बना चुके हैं।
वैष्णोधाम मंदिर में बनाए गए इस शिवलिंग का सावन के पहले दिन अनावरण किया गया, भगवान शिव के भक्तों के लिए सावन सबसे पवित्र महीना होता है। इस दौरान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
श्रद्धालुओ का कहना है कि “एक महीना पूरा सावन इसमें बीकानेर के आसपास के लोग भी दर्शन करने के लिए आएंगे और एक महीने तक इसका पूजा चलेगा और इसकी एक अलग विशेष ही पहचान होगी। ऐसे तो शिवलिंग कई मंदिरों में होते हैं लेकिन इसको गुजरात के कलाकारों द्वारा बनाया गया है। इसकी एक अलग विशेष पहचान है।”
‘रुद्र’ भगवान शिव का दूसरा नाम है और ‘अक्ष’ का संस्कृत में अर्थ आंखें या आंसू होता है। पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव एक बार मानवता के कल्याण के लिए गहन ध्यान में लीन हो गए थे। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं, तो उनके आंसू धरती पर गिरे और उनसे पहले रुद्राक्ष के पेड़ उगे। इन्हीं रुद्राक्ष से पवित्र मालाएं बनीं, जिनका आज अपना आध्यात्मिक महत्व है।
कलाकार चिरंतन भाई शास्त्री ने बताया कि “इसमें विशेषता यह है कि यह 18 फीट हाइट का 1.25 लाख पंचमुखी रुद्राक्ष से बना शिवलिंग है और ये सारे रुद्राक्ष के दाने जो हैं वो नेपाल से लाए गए हैं। विशेष और अनूठा इसलिए कहा जाएगा क्योंकि ये पार्थिव (मिट्टी का) शिवलिंग है, जो 18 फीट हाइट का है। कोई भी शिवलिंग जो होता है वो 18 फिट हाइट का नहीं होता है।
वह एक सीमित मात्रा की हाइट में होता है। यहां पर ये 18 फीट हाइट का है और लोग ऊपर जाकर भी इसके ऊपर अभिषेक कर सकते हैं। दूसरा कि हम लोग ये बहुत जगह पर बना चुके हैं अहमदाबाद, सूरत, वापी उसके बाद सतारा, मुंबई, दुबई, सिकंदराबाद, हैदराबाद और इस बार हमने बीकानेर में बनाया है।”