Air Pollution: वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन भारत पर किस तरह डाल रहे हैं बड़ा असर

Air Pollution: वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन भारत पर किस तरह डाल रहे हैं बड़ा असर 29 अक्टूबर को जारी द लांसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज की नई वैश्विक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण भारत में सबसे ज्यादा जानलेवा बना हुआ है और ये अर्थव्यवस्था पर भी बड़े पैमाने पर असर डाल रहा है।

लांसेट के एक नए अध्ययन के मुताबिक भारत में साल 2022 में 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें पीएम 2.5 यानी सूक्ष्म कण पदार्थ के संपर्क में आने से जुड़ी थीं। यह 2010 के आंकड़ों से 38% ज्यादा है।

लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत में जीवाश्म ईंधन के दहन की वजह से होने वाली मौतों में से 44% मौतें जीवाश्म ईंधन से संबंधित थीं, जिसमें कोयला और पेट्रोल सबसे प्रमुख थे।

रिपोर्ट के मुताबिक बिजली संयंत्रों में कोयले के इस्तेमाल की वजह से तीन लाख 94 हजार मौतें हुईं। लैंसेट काउंटडाउन के कार्यकारी निदेशक मरीना रोमानेलो ने कहा कि “उदाहरण के लिए, हम जानते हैं कि हमारे अनुमान के मुताबिक, भारत में कोयले के कारण लगभग 400,000 मौतें हुई हैं। और जैसा कि आपने कहा, भारत में सभी जीवाश्म ईंधनों के जलने से 750,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं।

अगर हम मानव-जनित उत्सर्जन को देखें, जिसमें बायोमास का जलना भी शामिल है, तो यह सभी मानवीय स्रोतों से होने वाली लगभग 17 लाख मौतों का आंकड़ा है। इसलिए वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भारत बहुत कुछ कर सकता है और वास्तव में कर भी रहा है। और मुझे पता है कि सरकार के पास स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने के लिए एक नई नीति भी है, खासकर लोगों के घरों तक, जो बीमारियों के इस बोझ को कम करने में बहुत मददगार साबित होगी।”

लांसेट की रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 2022 में हुई समय से पहले मौतों की वजह से 339.4 बिलियन अमरीकी डॉलर यानी करीब 30 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान भी झेलना पड़ा जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 9.5 प्रतिशत था।

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि 2024 में निम्न-कार्बन परिवर्तन के लिए भारत की तैयारी में थोड़ी कमी आई है, जबकि स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव और भी बदतर हो गए हैं। लांसेट की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लोगों ने 2024 में औसतन लगभग 20 दिन लू का सामना किया, जिनमें से लगभग छह दिन जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्म हवा चली।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत ज्यादा गर्मी की वजह से 2024 में भारत में हर साल 247 बिलियन संभावित श्रम घंटों का नुकसान हुआ, जिससे मुख्य रूप से कृषि और निर्माण क्षेत्रों के श्रमिक प्रभावित हुए। रिपोर्ट में डेंगू के बढ़ते मामलों, 18 मिलियन यानी एक लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों के लिए समुद्र स्तर के खतरे और देश भर में वृक्ष आवरण और शहरी हरियाली के लगातार नुकसान को लेकर भी चेतावनी दी गई है।

 

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