Jharkhand: चैत्र नवरात्रि के दौरान देश के दूसरे शहरों की तरह ही झारखंड के गिरिडीह में भी छतों, सड़कों, दुकानों और घरों पर महावीरी भगवा झंडे लहरा रहे हैं। झारखंड के इस शहर को अनोखा बनाने वाली बात यह है कि यह झंडे मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाए जाते हैं।
सिर्फ इसी साल नहीं बल्कि इन झंडों को बनाने वाले परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी अलग-अलग हिंदू त्यौहारों के लिए ये काम करते चले आ रहे हैं। कारीगर जुबैर अली ने कहा कि “बहुत दिनों से नहीं सर, ये सालों से बन रहा है। हमारे दादाजी बनाया करते थे। हमारे पापाजी फिर भाई आए फिर अब बेटा भी ट्रेंड हो रहा है। इसी में चलेगा जब तक जीवन रहेगा।
कारीगर मोहम्मद शहजाद ने बताया कि “यह हम लोगों का दशकों से चल रहा है। मतलब पुश्तैनी चल रहा है। हमारी उम्र कम से कम 50 साल हो गई। 50 साल से हम यही धंधा कर रहे हैं। उसमें बहुत से हिंदू मुसलमान करते हैं।जो मुस्लिम कारीगर से नहीं लेते, जो बड़े बड़े पोशाक बनते हैं मंदिर के तो उसमें कौन जाता है मुस्लिम जाता है नाप लेने के लिए, बजरंग बली का पोशाक हो गया, दुर्गाजी का हो गया। कुछ लोग आपस में जो ये जातिवाद पैदा करते हैं वो बहुत गलत है। बहुत गंदा है। ये भाईचारे को गलत व्यवहार करते हैं।”
ऐसे समय में जब धार्मिक मतभेद अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, गिरिडीह हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए आशा की किरण के रूप में सामने आया है, यह ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की भी खूबसूरत मिसाल है।