Jharkhand: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में बाल सुधार गृह से कुल 21 नाबालिग प्रवेश द्वार को क्षतिग्रस्त करने के बाद भाग गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। बाद में, चार का पता लगा लिया गया और उन्हें बाल सुधार गृह में वापस लाया गया। पुलिस उपमहानिरीक्षक (कोल्हान) मनोज रतन चौथे ने बताया कि लड़के शाम करीब साढ़े छह बजे चाईबासा सुधार गृह से भाग गए। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, बंदियों ने बाहर निकलने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार को क्षतिग्रस्त करने से पहले सीसीटीवी कैमरों सहित सुधार गृह के विभिन्न सामान में तोड़फोड़ की। शेष बंदियों का पता लगाने और उन्हें वापस लाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया गया है।
जानकारी मिलते ही जिले के कई वरीय पदाधिकारी मौके पर पहुंचे हैं। बाल बंदियों ने सुधार गृह में जमकर उत्पात भी मचाया। उन्होंने मुख्य गेट का ताला और सीसीटीवी कैमरा सहित कई कीमती सामान को तहस-नहस कर डाला. संभावना जताई जा रही है कि भागने वाले बाल बंदियों की संख्या 20 से भी ज्यादा हो सकती है। इनमें से कई बाल बंदी गंभीर संज्ञेय अपराधों के आरोपी हैं. ज्यादातर बंदी इसी जिले के रहने वाले हैं। बताया गया है कि शाम के वक्त बाल बंदी सुधार गृह के अंदर खेल रहे थे। उनके बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ और इसके बाद आपस में जमकर मारपीट हुई। इसी दौरान उन्होंने अलग-अलग कमरों में घुसकर कुर्सी, टेबल, पंखा सहित कई सामान तोड़ डाले। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने उन पर भी हमला कर दिया। इसके बाद बाल बंदियों का समूह मुख्य गेट पर पहुंचा और सबने मिलकर ताला तोड़ डाला।
घटना की जानकारी तत्काल जिले के वरीय अधिकारियों को दी गई। प्रशिक्षु आईपीएस निखिल राय, एसडीपीओ बहामन टुटी, एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो और सदर सीओ उपेंद्र कुमार और मुफ्फसिल थाना प्रभारी रंजीत उरांव सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। पुलिस ने भागे बाल बंदियों की तलाश में शहर और आस-पास के इलाकों में तलाशी अभियान शुरू किया है। सभी निकटवर्ती थानों को भी घटना की जानकारी देते हुए अलर्ट किया गया है। राज्य सरकार के समाज कल्याण एवं महिला बाल विकास विभाग की ओर से संचालित यह बाल संप्रेक्षण गृह 1959 में स्थापित हुआ था। विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने इस घटना के संबंध में जिला मुख्यालय से रिपोर्ट तलब की है।