Gujarat: गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में रखी पहले राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की आधारशिला

Gujarat: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद जिले में भारत के पहले राष्ट्रीय सहकारिता विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन’ की आधारशिला रखी। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल यहां जल और भूमि प्रबंधन संस्थान (डब्ल्यूएएलएमआई) के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।

अमित शाह ने विधिवत पूजा की और एक पट्टिका का अनावरण किया। विश्वविद्यालय का नाम भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रणी और अमूल की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों में से एक त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल के नाम पर रखा गया है।

पटेल का जन्म 22 अक्टूबर 1903 को खेड़ा, आणंद में हुआ था और उनका निधन तीन जून 1994 को हुआ था। सरकारी बयान में कहा गया कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (टीएसयू) का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पेशेवर और प्रशिक्षित श्रमशक्ति तैयार करना है। अगले पांच वर्षों में यह प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस), डेरी, मत्स्य पालन आदि सहकारी समितियों के लगभग 20 लाख कर्मियों को प्रशिक्षित करेगा।

विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करेगा। बयान के अनुसार, विश्वविद्यालय अनेक लचीले और बहु-विषयक कार्यक्रम भी उपलब्ध कराएगा जिनमें पीएचडी, प्रबंधकीय डिग्री, पर्यवेक्षी स्तर पर डिप्लोमा और परिचालन स्तर पर प्रमाण-पत्र शामिल होंगे। इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय नेटवर्क बनाने के लिए टीएसयू अगले चार वर्षों में 200 से अधिक मौजूदा सहकारी संस्थाओं को जोड़ने का प्रयास करेगा।

बयान में कहा गया, ‘‘भारत में वर्तमान में सहकारी समितियों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार और किफायती प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित अनुसंधान और विकास को समर्थन देने के लिए कोई संस्थागत तंत्र नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय में एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास परिषद की स्थापना की जाएगी जो सहकारी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास का कार्य करेगी तथा संबद्ध संस्थानों में भी इसे बढ़ावा देगी।’’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “आज यहां पर 125 एकड़ में 500 करोड़ की लागत से विश्व का पहला ‘त्रिभुवन’ सहकारिता यूनिवर्सिटी आधारशिला रखने का काम किया। यह यूनिवर्सिटी को-ऑपरेटिव में नीति निर्माण का काम करेगी। डेटा विश्लेषण का काम करेगी। पांच साल, 10 साल और 25 साल की देशभर के को-ऑपरेटिव के विकास की रणनीति करने का काम करेगी। अनुसंधान को भी इस यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है। और सबसे बड़ी बात है ये यूनिवर्सिटी सिर्फ सहकारी कर्मचारी पैदा नहीं करेगी, यहां त्रिभुवन भाई जैसे समर्पित सहकारी नेता भी पढ़ लिखकर सहकारी क्षेत्र की नेतृत्व करेंगे।”

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