Diwali: बीकानेर में दिवाली के मौके पर हर साल कराया जाता है उर्दू की रामायण का पाठ

Diwali: बीकानेर में दिवाली पर मौलवी बादशाह शाह हुसैन राणा लखनवी की 1935 में लिखी गई उर्दू की रामायण का अनोखा पाठ किया जाता है, यह कार्यक्रम 2012 से चल रहा है। इस बार के कार्यक्रम में भी हर बार की तरह सभी समुदायों के लोगों की भागीदारी देखी गई, यह बीकानेर के सालाना उत्सव का अहम हिस्सा बन गया है।

उर्दू की रामायण को भगवान राम की भावना के प्रमाण के रूप में देखा जाता है। इस रामायण को 89 साल पहले तुलसीदास जयंती पर हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के लिए तैयार किया गया था।

भारत की गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक यह कार्यक्रम पर्यटन लेखक संघ की ओर से हर साल दिवाली से पहले कराया जाता है। उर्दू रीडर डॉ. जिया उल हसन कादरी ने कहा कि “दिवाली के मौके पर हर साल वाचन कर रहे हैं 2012 से आज तक। खास ये है कि जिस तरह से आज समाज को बांटा जा रहा है उसमें हम ऐसे दिखाना चाहते हैं कि हमारे हिंदुस्तान के जितने भी देवता हैं या महापुरुष हैं या ईश्वर हैं वो सभी के हैं और सभी उनका सम्मान करते हैं और मुस्लिम समुदाय भी सजदा रखता है। एक पैगाम जो 1935 में राणा साहब ने दिया था उस पैगाम को 2024 के अंदर इस सदी के अंदर दे रहे हैं और उसकी ज्यादा आवश्यकता है।”

इसके साथ ही कहा कि “रामायण तो वैसे हर भाषा में लिखी जा चुकी है, हर भाषा में अनुवाद हो चुका है हिंदी में, अंग्रेजी में, पंजाबी में, सिंधी में इस रामायण की खूबी ये है कि ये उर्दू में लिखी हई है। ये रामायण गद्य में नहीं पद्य में है। कविता के रूप में ये रामायण लिखी गई है। गद्य में लिखना तो आसान है लेकिन पद्य में लिखना, कविता के रूप में लिखना एक अनूठा और नया पहलू है।”

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