Bikaner: राजस्थान में पाए जाने वाले जहरीले सांप ‘बांडी’ के दंश से बढ़ते मौत के आंकड़ों को कम करने में वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज की मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट और एनआरसीसी की टीम ने ऊंट के खून से एंटी-स्नेक वेनम तैयार किया है।
ये उपलब्धि खास तौर पर बॉर्डर इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है, जहां हर साल हजारों लोग सांप के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं। ‘बांडी’ सांप भारत में गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में पाए जाते हैं। इसके अलावा ये पाकिस्तान में भी देखने को मिलते हैं।
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विभाग के मुताबिक, विशेषज्ञ पी. डी. तनवर लंबे समय से सांप के जहर के असर को कम करने वाली दवा पर काम कर रहे थे। ये एंटी-स्नेक वेनम कितना असरदार है? ये जानने के लिए सबसे पहले चूहों पर इसका परीक्षण किया गया।
लैब में नई दवा की टेस्टिंग के अच्छे नतीजे मिले हैं, जिसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने उत्पादन शुरू करने का फैसला किया है। फिलहाल, ऊंट के खून से बने एंटी-स्नेक वेनम के इंसानों पर टेस्टिंग की तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि अभी बाजार में जो भी एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध है वो घोड़ों के खून से बनाए जाते है, लेकिन वो ‘बांडी’ के काटने पर कम काम करते है। हाल में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे इंसानों को एलर्जी और कुछ दूसरी गंभीर समस्याएं होती हैं।