AI crash: अहमदाबाद से लंदन जा रहे एअर इंडिया विमान हादसे में मरने वाले 241 यात्रियों के घर में मातम छाया हुआ है, विमान मेघानीनगर में मेडिकल कॉलेज परिसर में गिरा और आग की लपटों में घिर गया।
एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने बताया कि पायलट ने एक बजकर 39 मिनट पर उड़ान भरने के फौरन बाद ‘मेडे’ एलर्ट भेजा, इसका मतलब है पूरी तरह आपातकालीन स्थिति। जो लोग पायलट सुमित को जानते हैं उनका कहना है कि वो बेहद सौम्य और शांत स्वभाव के थे, हादसे में मरने वालों के परिवार सदमे में हैं। उन्हें भरोसा नहीं हो रहा कि उनका करीबी हमेशा के लिए जा चुका है।
लंबी दूरी भरने वाले विमान में पूरा ईंधन भरा था, विमान उड़ान भरने के बाद मुश्किल से छह सौ से 800 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा ही था कि खतरे की घंटी बज गई। चश्मदीद उस भयानक हादसे की आंखों देखी सुनाते हैं, शोक की लहर सिर्फ विमान में सवार लोगों के परिवार में ही नहीं। उन घरों में भी मातम है, जहां के सदस्य, लोगों की जान बचाने की पढ़ाई कर रहे थे और खुद जान गंवा बैठे, विमान मेडिकल कॉलेज के परिसर में गिरा था।
जब तक गुमशुदा लोगों का पता नहीं चला, परिजनों को उनके बच जाने की उम्मीद थी, मृतकों की पहचान के लिए डीएनए जांच कराई जाएगी। ताजा खबर मिलने तक मलबे से 200 से ज्यादा शव बरामद किए जा चुके हैं, कई जले हुए शवों की पहचान नहीं हो पाई है।
मृतक के पिता ने बताया कि “यादें तो क्या? वो एयरपोर्ट छोड़ के गए। वो फोटो लिया। वो लास्ट याद थी उसकी। बस, वो खत्म गई। मेरी डॉटर थी। वो लंदन में थी, वर्क परमिट में उधर ही रहती थी। हम उसे छोड़ने गए थे तो उसने सेल्फी लिया था लास्ट मोमेंट में।”
मृतक के मां का कहना है कि “विमान गिर गया, सर। मेरा बेटा छत पर था। विमान का एक टुकड़ा गिरा और उसके सिर पर लगा, उसमें आग लग गई। मेरा बेटा बेहोश होकर खाट पर गिर गया। वह उठ नहीं पाया। खाट में आग लग गई। मेरा बेटा पूरी तरह जल गया और उस आग में राख हो गया।”
इसके साथ ही चश्मदीद ने बताया कि “जैसे ही विमान नीचे गिरा उसका एक हिस्सा टूट कर यहां आ गिरा। विमान गिरते ही विस्फोट हो गया। आधे लोग तो जैसे, प्लेन क्रैश हुआ तो उसमें बम ब्लास्ट जैसा हुआ ना, उसमें जल के वो गए। और आधे लोगों को रेस्क्यू करके सिविल हॉस्पिटल में एंबुलेंस पे भेज दिया था। मैं 1.45 को वहां पर आया था। तब फायर ब्रिगेड टीम आई थी। उसके साथ पांचवें माले पर गए। वहां पर लेडीज लोग चिल्ला रही थी। बचाओ, बचाओ करके। हम उनको बोलने गए। उसके बाद फिर हमने रेस्क्यू किया। फिर रूपाणी सर के जो गार्ड थे, वो भी आके तुरंत बोलने लगे कि सर इसी फ्लाइट में थे। हम उनको देखने गए तो कुछ नहीं था। सब बॉडी जैसे आ रही थी बाहर तो जलके राख हो रही थी। उसमें तो हमने बहुत सारे को रेस्क्यू किया है। पांचवें मंजिल पे डॉक्टर वगैरह थे। आधे का खाना ऐसे ही रखा था। उनका जो लैपटॉप था, वो हमने नीचे लाके पुलिस को दिया।”
“मेरे दोस्त लोग ने और सबने मिलके सबसे पहले तो कैंटीन में जो सिलिंडर्स थे, उनको नीचे उतारा, क्योंकि आग ज्यादा न फैले। एक के हाथ में चम्मच थी। खाना खाते-खाते बिचारे की डेथ हो चुकी थी। दीवाल, दीवाल के ऊपर पैसेंजर्स के सूटकेस पड़े हुए थे। प्लेन का हिस्सा उस साइड का आया था और सब लोग का सूटकेस ऊपर पड़ा हुआ था। तो मैंने जो देखा, जो नजारा मैंने देखा, मेरी आंखों में भी आंसू आने जैसा हो रहा है। बात ही मत करो कि क्या हादसा हुआ। और हमने करीब 25 से 30 लाशों तो मैंने और मेरे ग्रुप ने मिल के रेस्क्यू की है।”